बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 इतिहास बीए सेमेस्टर-1 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास के नवीन पाठ्यक्रमानुसार प्रश्नोत्तर
चालुक्य
(Chalukya)
प्रश्न- कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं बादामी के चालुक्यों के अन्त पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं बादामी के चालुक्यों का अन्त
त्रैलोक्यमहादेवी से उत्पन्न कीर्तिवर्मा द्वितीय विक्रमादित्य द्वितीय के अनन्तर बादामी की गद्दी पर विराजमान हुआ। शासन सम्भालने के पश्चात् चालुक्य नृपतियों के समान इन्हें भी पृथ्वीवल्लभ महाराजाधिराज, परमेश्वर, श्रीवल्लभ राजाधिराज, भट्टारक, अनिवारित तथा नृपसिंह की उपाधियों से नवाजा गया। इसके वक्कलेरि तथा केन्दूर लेखों में क्रमशः शक सम्वत् 672 तथा 679 में तिथियाँ हैं, जो इसके शासनकाल के छठवें तथा ग्यारहवें वर्षों की हैं। इनसे यह जानकारी प्राप्त होती है कि इसने 745 से 747 ई. के बीच किसी भी समय में शासन किया था। अक्षयनिधियों की स्थापना तथा जैन मन्दिरों के निर्माण का आपूर तथा अन्निगेरि लेखों में इनके द्वारा उल्लेख किया गया है। इसके द्वारा लड़े गये कतिपय युद्धों का विवरण ऐनूलि एवं केन्दूर लेखों से पता चलता है। लेकिन युद्धों की कोई भी स्पष्ट सूचना नहीं मिलती है। कुछ विद्वानों का मानना है कि गंग चालुक्यों के सामन्त थे। अतः जब-जब पाण्ड्य शासक मानवर्मा ने गंगों पर आक्रमण किया तभी कीर्तिवर्मा ने पाण्ड्यों से युद्ध किया। चालुक्यों के अधीन कीर्तिवर्मा द्वितीय ने चालुक्य की गद्दी पर शासन शुरू किया तब चालुक्यों की प्रतिष्ठा एवं शक्ति चरम सीमा पर थी और इसका सम्पूर्ण अधिकार दमन पर था। पल्लवों की शक्ति धीरे-धीरे नष्ट हो रही थी। इसी कारण अरब आक्रमणकारी उल्टे पांव वापस कर दिये गये थे। नये शासक में इतनी शक्ति विद्यमान थी कि वह चालुक्यों का सर्वथा उत्थान करे। लेकिन नियति को यह स्वीकार न था। इसके शासन ग्रहण करने के उपरान्त एक दशक के भीतर ही ऐसा संकट आया की चालुक्य साम्राज्य क्षत-विक्षत हो गया।
राष्ट्रकूट इस संकट के कर्ता-धर्ता थे। दकन के कुछ भागों से इस काल के कई राष्ट्रकूट शासकों के लेख मिले हैं। किन्तु राष्ट्रकूट नरेश ने चालुक्य कीर्तिवर्मा द्वितीय के यश को दन्तिदुर्ग ने तिरोहित किया था। चालुक्यों के प्रारम्भिक समय में यह सामन्त था और सम्भवतः पल्लवों के विरोध में कीर्तिवर्मा द्वितीय का साथ देकर इसने चालुक्य शासक विक्रमादित्य द्वितीय से खण्डवालोक तथा पृथ्वीभल्लव जैसी उपाधियाँ प्राप्त कर ली थीं। इसने अरबों के विरोध में भी चालुक्यों की सहायता की होगी।
परन्तु यशस्वी विक्रमादित्य की मृत्यु के पश्चात् दन्तिदुर्ग ने अपना रुख बदल लिया। यह एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के कारण इस बात को भली प्रकार जानते हुए कि चालुक्यों को आसानी से हटाया नहीं जा सकता, इसलिए इनसे प्रत्यक्ष संघर्ष न कर अन्य क्षेत्रों में अपनी शक्ति स्थापित करने का प्रयास शुरू कर दिया और नंदिपुर में गुर्जर राज्य पर अधिकार कर कोशल, श्रीशैल तथा कलिंग राजाओं को हराकर कांची तक पहुँच गया। शक्ति का प्रदर्शन कर इसने पल्लव शासक नन्दिवर्मा से मित्रता की और अपनी पुत्री कन्या देवी का विवाह उसके साथ कर दिया। इसी प्रकार कीर्तिवर्मा द्वितीय को छेड़े बिना दूरस्थ प्रदेशों पर अपना अधिकार करता गया। धीरे-धीरे मध्य भारत के अधिकांश भाग इनके आधीन हो गये। दन्तिदुर्ग की साम्राज्यवादी नीति कीर्तिवर्मा द्वितीय को अच्छी न लगी और इसने इसे रोकने का हर सम्भव प्रयास किया और असफल भी रहा। कीर्तिवर्मा द्वितीय पर दन्तिदुर्ग ने अप्रत्याशित रूप से आक्रमण कर दिया। दन्तिदुर्ग के समनगढ़ लेख के अनुसार, “दन्तिदुर्ग ने अजेय रथों पर सवार अपने चुने हुए सैनिकों की सहायता से कर्नाटक की उस विशाल सेना का सरलतापूर्वक संहार किया जिसने केरल, पाण्ड्य, कांची, चोल, वज्रट और श्रीहर्ष राजाओं को पराजित किया था। शत्रु सेनाओं का सामना होते ही बिना युद्ध के वल्लभ ने हार मान ली तथा प्रभुसत्ता सौंप दी।" इस प्रकार से कीर्तिवर्मा द्वितीय इस युद्ध में असफल हुआ और गुजरात, उत्तरी महाराष्ट्र तथा इसके निकटवर्ती प्रदेश चालुक्य प्रभाव से जाते रहे।
इनके शासनकाल के ग्याहरवें वर्ष में वक्कलेरि लेख से यह जानकारी प्राप्त होती है कि इसने कम से कम 757 ई. तक शासन किया। इससे यह प्रतीत होता है कि एक बार फिर से कीर्तिवर्मा द्वितीय राष्ट्रकूटों के विरोध में आगे बढ़ा। परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी और इस बार भी इसे असफलता मिली। दन्तिदुर्ग के उत्तराधिकारी कृष्ण तृतीय ने कीर्तिवर्मा को हराकर चालुक्यों की बची-खुची शक्ति समाप्त कर दी। राष्ट्रकूट अभिलेखों में बताया गया है कि कृष्ण तृतीय ने पालिध्वज की मालाओं से सजी हुई चालुक्य राजलक्ष्मी का अपहरण कर लिया और उसे अपने वश में कर हिरण के रूप में उसे परिवर्तित कर दिया। कुछ लेखों में बताया गया है कि उसने रहत्प और राहप को जीतकर परम प्रभुसत्ता जो पालिध्वज से अलंकृत थी उसे प्राप्त किया। चालुक्यों एवं राहय के सम्बन्धों में परम प्रभुसत्ता एवं पालिध्वज के प्रयोग से डी. पी. सरकार ने अनुमान लगाया है कि राहप चालुक्य कीर्तिवर्मा द्वितीय का दूसरा नाम था। कल्याणी लेखों से यह संकेत मिलता है कि कीर्तिवर्मा द्वितीय के शासन के समय में चालुक्य राजलक्ष्मी का अपहरण हुआ था। इसके बाद से चालुक्य कीर्तिवर्मा द्वितीय का कुछ पता नहीं चला। वह या तो कृष्ण तृतीय से युद्ध कर वीरगति को प्राप्त हुआ या पराजय के बाद इसकी स्वाभाविक मृत्यु हो गयी। सम्भवतः कीर्तिवर्मा निःसन्तान था। इसी कारण इसके बाद से चालुक्यों का अवसान हो गया।
पुलकेशी प्रथम के समय से स्थापित चालुक्य राज्य विक्रमादित्य के राज्यकाल के समय में प्रगति करता गया और इसमें अल्पकालिक एवं आकस्मिक संकटों को छोड़ कोई भी विशेष क्षति नहीं हुई। परन्तु इसके शासन समाप्त होने के लगभग डेढ़ दशकों में इस साम्राज्य के इतिहास की एक आश्चर्यजनक एवं आकस्मिक घटना है। इसका एक मुख्य कारण चालुक्य और पल्लव का संघर्ष था। कांची के पल्लवों तथा बादामी के चालुक्यों के बीच चालुक्य द्वितीय नरेश पुलकेशी द्वितीय के समय में संघर्ष की शुरूआत हुई और थोड़ी रुकावटों के साथ यह संघर्ष निरन्तर होता रहा। इस संघर्ष में कभी एक पक्ष को तो कभी दूसरे पक्ष को सफलता मिली। यद्यपि इससे किसी को भी कोई लाभ न मिला परन्तु इससे दोनों साम्राज्यों में धन एवं जन को हानि पहुँची। इससे चालुक्य धीरे-धीरे निर्बल होते गये। इस दुर्बलता का राष्ट्रकूटों ने लाभ उठाया। पल्लवों से इनके संघर्षों ने इन्हें दक्षिण में निरन्तर उलझाए ही नहीं रखा, बल्कि इनकी शक्ति दिनों- दिन क्षीण होती गयी। इसी कारण वहाँ के गवर्नर अर्ध-स्वतंत्र शासक की हैसियत से शासन करने लगे। चालुक्यों के उत्तरी प्रान्त के एक सामन्त द्वारा तख्ता उलट दिये जाने का एक मुख्य कारण यही था। इसी कारण चालुक्य राज्य अरब आक्रमणों से अधिक प्रभावित न हुआ। लेकिन इस आक्रमण से पश्चिमी तथा मध्य भारत के अनेक छोटे-छोटे राज्यों को नुकसान हुआ। इससे भी दुन्तिदुर्ग लाभान्वित हुआ। अन्तिम चालुक्य शासकों के समय में सामन्तों की तरफ से केन्द्रीय सत्ता का विरोध किया जाने लगा था। इनमें इतनी क्षमता नहीं थी कि ये इन विरोधियों का सामना कर सकें। वेंगी तथा गुजरात की चालुक्य शाखाओं से बादामी के चालुक्य को हानि पहुँची। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण राष्ट्रकूट दन्तिदुर्ग का विद्रोह था। यदि राष्ट्रकूटों का जन्म कुछ दिनों के पश्चात् हुआ होता तो कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं चालुक्य वंश कुछ दिनों तक और बना रहता। राष्ट्रकूट दन्तिदुर्ग एक नीतिनिपुण एवं शूरकर्मा शासक था। कीर्तिवर्मा की उसकी सूरत एवं कूटनीति के आगे एक भी न चल सकी। उसके घातक प्रहार से कीर्तिवर्मा का यश एवं साम्राज्य धूल में मिल गया।
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- प्रश्न- ऐतिहासिक युग के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का परिचय दीजिए व भारत में उसके बाद विकसित होने वाली सभ्यता व संस्कृति को चित्रित कीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहाकार कल्हण व आर. सी. मजूमदार का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय ज्ञान प्रणाली के स्रोत पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जदुनाथ सरकार, वी. डी. सावरकर, के. पी. जायसवाल का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार मृदुला मुखर्जी के बारे में बताइए।
- प्रश्न- भारत संस्कृति (भाषाओं) के ज्ञान से अवगत कराइये।
- प्रश्न- नृत्य व रंगमंच की भारतीय संस्कृति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता से मगध राज्य तक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार विपिनचन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्य पाषाण समाज और शिकारी संग्रहकर्ता पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- ऊपरी पुरापाषाण क्रांति क्या थी?
- प्रश्न- प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण युग की जीवनशैली किस प्रकार की थी?
- प्रश्न- के. पी. जायसवाल के विशिष्ट कार्यों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- वी. डी. सावरकर के धार्मिक और राजनीतिक विचार से अवगत कराइये।
- प्रश्न- लोअर पैलियोलिथिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं? 'हड़प्पा संस्कृति' के निर्माता कौन थे? बाह्य देशों के साथ उनके सम्बन्धों के विषय में आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के आर्थिक जीवन के विषय में विस्तारपूर्वक बताइये।
- प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर-विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विनाश के क्या कारण थे?
- प्रश्न- लोथल के 'गोदी स्थल' पर लेख लिखो।
- प्रश्न- मातृ देवी की उपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'गेरुए रंग के मृदभाण्डों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मोहन जोदडो' का महान स्नानागार' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व-वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मचर्य आश्रम के कार्य व महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वानप्रस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- सन्यास आश्रम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनुस्मृति में लिखित विवाह के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में दास प्रथा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुरुषार्थ पर लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'संस्कार' पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गृहस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिककाल में विवाह तथा सम्पत्ति अधिकारों की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- उत्तर वैदिककाल की राजनीतिक दशा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विदथ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- आर्यों के मूल स्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सभा' के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
- प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नन्द कौन थे? महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न. बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुदर्शन झील पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अशोक के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताइये कि वह किस प्रकार सिंहासन पर बैठा था?
- प्रश्न- सम्राट अशोक के साम्राज्य विस्तार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अशोक के शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
- प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सारनाथ स्तम्भ लेख पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बृहद्रथ किस राजवंश का शासक था और इसके विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- कल्याणी के उत्तरकालीन पश्चिमी चालुक्य को समझाइए।
- प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
- प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आपसूक्ष्म में बताइए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की उत्पत्ति का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
- प्रश्न- मिहिरभोज की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार नरेश नागभट्ट द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न-
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम के शासन-काल का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वत्सराज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास में नागभट्ट द्वितीय के स्थान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मिहिरभोज की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार सत्ता का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों का विघटन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- महेन्द्रपाल प्रथम कौन था? उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए। उत्तर -
- प्रश्न- राजशेखर और उसकी कृतियों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राज्यपाल तथा त्रिलोचनपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में प्रतिहारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कन्नौज के प्रतिहारों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश का महानतम शासक कौन था?
- प्रश्न- गुर्जर एवं पतन का विश्लेषण कीजिये।
- प्रश्न- कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं बादामी के चालुक्यों के अन्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चालुक्य राज्य के अंधकार काल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पूर्वी चालुक्य शासकों ने कला और संस्कृति में क्या योगदान दिया है?
- प्रश्न- चालुक्य कौन थे? इनकी उत्पत्ति के बारे में बताइए।
- प्रश्न- वेंगी के पूर्व चालुक्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चालुक्यकालीन धर्म एवं कला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्य संघर्ष के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कल्याणी के पश्चिमी चालुक्यों की शक्ति के प्रसार का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की उपलब्धियों के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की शासन व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्य- पल्लव संघर्ष का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- परमारों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राजा भोज के शासन काल में चतुर्दिक उन्नति हुई।
- प्रश्न- परमार नरेश वाक्पति II मुंज के शासन काल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राजा भोज के शासन प्रबंध के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइए।
- प्रश्न- परमार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए तथा इस वंश का पतन क्यों हुआ?
- प्रश्न- परमार साहित्य और कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परमार वंश का संस्थापक कौन था?
- प्रश्न- मुंज परमार की उपलब्धियों का आंकलन कीजिए।
- प्रश्न- 'धारा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीयक द्वितीय 'हर्ष' के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धुराज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परमारों के पतन के कारण बताइए।
- प्रश्न- राजा भोज एवं चालुक्य संघर्ष का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राजा भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परमार इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोज परमार की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परमारों की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अर्णोराज चाहमान के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की उपलब्धियों की समीक्षा कीजिए। मोहम्मद गोरी के हाथों उसकी पराजय के क्या कारण थे? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान कौन थे? विग्रहराज चतुर्थ के विजयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान कौन थे?
- प्रश्न- विग्रहराज द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अजयराज चाहमान की उपलब्धियों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज और जयचन्द्र की शत्रुता पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में पृथ्वीराज रासो के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
- प्रश्न- चाहमानों के विदेशी मूल का सिद्धान्त पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के चन्देलों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गोविन्द चन्द्र गहड़वाल की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गहड़वालों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जयचन्द्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्णोराज के राज्यकाल की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चाहमानों (चौहानों) के राजनीतिक इतिहास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ललित विग्रहराज नाटक पर नोट लिखिए।
- प्रश्न- चाहमान नरेश पृथ्वीराज तृतीय के तराइन युद्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चौहान वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामंतवाद पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामंतवाद के पतन के कारण बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में सामंतवाद की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- मौर्य प्रशासन और सामंतवाद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न-
- प्रश्न- वेदों की उत्पत्ति के विषय में बताइए। वेदों ने हमारे जीवन को किस प्रकार के ज्ञान दिये?
- प्रश्न- हिन्दू धर्म और संस्कृति पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए
- प्रश्न- हिन्दू वर्ग की जाति-व्यवस्था व त्योहारों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- 'लिंगायत'' के बारे में बताइए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म के सुधारकों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में आत्मा से सम्बन्धित विचारों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- हिन्दुओं के मूल विश्वासों से अवगत कराइए।
- प्रश्न- उपवास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में लोगों के गाय के प्रति कर्तव्य से अवगत कराइये।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारत आक्रमण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी की भारत विजय के कारणों की सुस्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के पतन के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर मुहम्मद गोरी के आक्रमण के क्या कारण थे?
- प्रश्नृ- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा कैसी थी?
- प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की सामाजिक स्थिति का संक्षिप्त वर्णन करें।
- प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारत की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी लिखें।
- प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारतीय शासकों के तुर्कों से पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भारत में तुर्की राज्य स्थापना के क्या परिणाम हुए?
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी का चरित्र-मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अरबों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- अरब आक्रमण का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तराइन के प्रथम युद्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत पर तुर्कों के आक्रमण के क्या कारण थे?
- प्रश्न- महमूद गजनवी का आनन्दपाल पर आक्रमण का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी का कन्नौज पर आक्रमण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ का विध्वंस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। [
- प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण के परिणामों पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मोहम्मद गोरी की विजयों के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- भारत पर तुर्की आक्रमण के प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।